जानती हो वो किताब कौनसी थी?? वहीं जो पिताजी पढ़ रहे थे" जानती हो वो किताब कौनसी थी?? वहीं जो पिताजी पढ़ रहे थे"
हर सुविधा की शुरुआत वो अपने ही अंश के कत्ल से कर चुके थे। हर सुविधा की शुरुआत वो अपने ही अंश के कत्ल से कर चुके थे।
हाथ ही नहीं खोया समूचा अस्तित्व ही खो दिया............... हाथ ही नहीं खोया समूचा अस्तित्व ही खो दिया...............
बूंदों को पोंछता हुआ आकृति के पीछे घर के अन्दर चला गया। बूंदों को पोंछता हुआ आकृति के पीछे घर के अन्दर चला गया।
मुझे शिकायत है मेरी परछाई से,वो मेरी ठीक -ठीक आकृति नहीं बनाती मुझे शिकायत है मेरी परछाई से,वो मेरी ठीक -ठीक आकृति नहीं बनाती
असीमानंद थोड़ी देर असमंजस में रहा फिर उसने वापस ज़मीन पर लेटकर उस आकृति को प्रणाम किया असीमानंद थोड़ी देर असमंजस में रहा फिर उसने वापस ज़मीन पर लेटकर उस आकृति को प्रणाम...